जानिए, क्यों हिन्दुस्तान की जनता नेताजी सुभाष चंद्र बोस से करती है प्यार!

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नमस्कार दोस्तों आज हम बात करेंगे आजादी के महानायक महा क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में | नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1997 में उड़ीसा के जानकीनाथ बोस और प्रभा देवी के घर में हुआ था| यह अपने माता पिता की नवी संतान और पांचवें पुत्र थे | वह एक कुशल राजनीतिज्ञ, निडर सिपाही और सेना के कुशल कप्तान और आश्चर्यजनक रूप से लोगों को मोहित करने वाले अद्भुत व्यक्ति थे| उनके पिता की इच्छा थी कि वे IAS (Indian Administrative Service) बने और उन्होंने अपने पिता की इच्छा को पूरा करते हुए सन 1920 में IAS की परीक्षा को पास किया. लेकिन उनके मन में देश भक्ति और देश को आजाद कराने के लिए अद्भुत रूप से इच्छा थी. उन्होंने देश की सेवा करने के लिए 22 अप्रैल 1921 को आईसीएस के पद से इस्तीफा दिया |

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why the people of India do Netaji Subhash Chandra Bose with love

गांधीजी से पहली मुलाकात

स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श मानने वाले सुभाष चंद्र बोस जब भारत आए तो रविंद्र नाथ टैगोर के कहने पर सबसे पहले गांधी जी से मिले | गांधी जी से पहली मुलाकात मुंबई मैं 20 जुलाई 1921 को हुई थी. फिर नेताजी आजादी के लिए गांधी जी के साथ मिलकर आजादी का दिलाने के लिए प्रयास करने लगे| नेताजी को अपने जीवन में कुल 11 बार कारावास हुआ | सबसे पहले उन्हें 16 जुलाई 1921 में 6 महीने का कारावास हुआ |  

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सुभाष चंद्र बोस का कांग्रेस हेतु चयन

1938 में सुभाष चंद्र बोस को कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुना गया | अध्यक्ष पद के लिए स्वयं गांधी जी ने चुना था. गांधी जी एवं अन्य सहयोगी के व्यवहार से दुखी होकर अंततः सुभाष चंद्र बोस ने 29 अप्रैल 1939 को कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और उसके बाद ऑल इंडिया फार्वर्ड ब्लाक (All India Forward Bloc)  नाम की पोलिटिकल पार्टी की स्थापना की |  फिर बाद में 1940 में उन्हें कारावास में डाल दिया गया पर सुभाष के आमरण अनशन के डर के कारण अंग्रेजों ने उन्हें मुक्त कर दिया | सुभाष चंद्र बोस को उनके घर में नजरबंद कर दिया गया.  इन सभ के बिच सुभाष चंद्र बोस 26 जनवरी 1941 को अपने ही घर से भागकर जर्मनी पहुंच गए |

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आजाद हिंद फौज

ये तो सब जानते हैं कि भारत को आज़ादी दिलाने में सबसे बड़ा हाथ आज़ाद हिन्द फ़ौज का था, लेकिन आज़ाद हिन्द फ़ौज के इतिहास के बारे में कम ही लोग जानते हैं। यहां तक कि ज्यादातर लोगों को तो लगता है कि आज़ाद हिन्द फ़ौज की स्थापना सुभाष चन्द्र बोस ने की थी, लेकिन यह सच्चाई नहीं है।

आपको बता दें आज़ाद हिन्द फ़ौज की प्रथम डिवीजन का गठन 1 दिसम्बर, 1942 ई. को मोहन सिंह के अधीन हुआ। इसमें लगभग 16,300 सैनिक थे। दरअसल जापान ने 60,000 युद्ध बंदियों को आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल होने के लिए छोड़ दिया। जापानी सरकार और मोहन सिंह के अधीन भारतीय सैनिकों के बीच आज़ाद हिन्द फ़ौज की भूमिका के संबध में विवाद उत्पन्न हो जाने के कारण मोहन सिंह एवं निरंजन सिंह गिल को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके आगे बात करें तो आज़ाद हिन्द फ़ौज का दूसरा चरण तब प्रारम्भ हुआ, जब सुभाषचन्द्र बोस सिंगापुर गये। सुभाषचन्द्र बोस ने 1941 ई. में बर्लिन में ‘इंडियन लीग’ की स्थापना की|

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 4 जुलाई 1943 ई. को सुभाष चन्द्र बोस ने ‘आज़ाद हिन्द फ़ौज’ एवं ‘इंडियन लीग’ की कमान को संभाला। अतिरिक्त फ़ौज की बिग्रेड को नाम भी दिये गए- ‘महात्मा गांधी ब्रिगेड’, ‘अबुल कलाम आज़ाद ब्रिगेड’, ‘जवाहरलाल नेहरू ब्रिगेड’ तथा ‘सुभाषचन्द्र बोस ब्रिगेड’। सुभाषचन्द्र बोस ब्रिगेड के सेनापति शाहनवाज ख़ां थे। सुभाषचन्द्र बोस ने सैनिकों का आहवान करते हुए कहा “तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा।”

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नेताजी की मौत का रहस्य

कहा जाता है कि नेताजी की  मौत विमान हादसे में हुई थी.  पर क्या सच में उनकी मौत एक विमान हादसे में हुई थी? सरकार कहती है कि नेताजी की मौत उस विमान हादसे में हुई पर पर नेताजी से जुड़े लोग इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते| पत्रकार और लेखक अनुज धर ने अपनी किताब में लिखा है “सरकार कहती है कि नेताजी की मौत विमान हादसे में हुई लेकिन उनके जापानी साथी इस बात से इनकार करते हुवे कहते हैं कि यह बात झूठी है. उनके मुताबिक नेताजी सोवियत रूस पहुंचने में कामयाब हुए और कई साल तक वहां रहे और उसके बाद भारत पहुंचे तो वहां भी कई सालों तक गुमनाम तरीके से अपनी जिंदगी बिताइ|

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सुभाष चंद्र बोस जी ने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए बहुत कुछ किया और उनके इन बलिदानों के लिए हम सभी हमेशा उनके आभारी रहेंगे| आपको सभी को हमारा यह आर्टिकल कैसे लगा कृपया नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं |

धन्यवाद 

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