दिल्ली का आखिरी हिंदू सम्राट, जिसने शेर का जबड़ा हाथों से फाड़ दिया था

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दिल्ली का आखिरी हिंदू सम्राट, जिसने शेर का जबड़ा हाथों से फाड़ दिया था

The last Hindu emperor of Delhi, who has Tearing the lion jaw with his hands

हेलो दोस्तों मेरा नाम है अनिल पायल, हमारा देश योद्धाओं का देश रहा है. इस देश के इतिहास में कुछ ऐसे योद्धा रहे हैं जिनकी वीरता को दुनिया के आखिरी दिन तक याद किया जाएगा | ऐसे ही एक महान योद्धा थे पृथ्वीराज चौहान|

The last Hindu emperor of Delhi, who has Tearing the lion jaw with his hands

पृथ्वीराज चौहान दिल्ली पर राज करने वाले आखिरी हिंदू सम्राट थे. वह बचपन से ही निडर और बहादुर थे| कहां जाता है कि एक बार उनका सामना शेर से हो गया था तो उन्होंने अपने हाथों से शेर का जबड़ा फाड़ कर शेर को मार दिया था| सिर्फ इतना ही नहीं आंखें ना होने के बावजूद उन्होंने अपने शत्रु मोहम्मद गौरी को मौत के घाट उतार दिया था|

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पृथ्वीराज चौहान संयोगिता नाम की राजकुमारी से प्रेम करते थे. संयोगिता कन्नौज के राजा जयचंद की पुत्री थी| संयोगिता भी पृथ्वीराज चौहान की दीवानी थी लेकिन जयचंद को उन दोनों की शादी मंजूर नहीं थी| इसलिए पृथ्वीराज चौहान स्वयंवर के बीच में से संयोगिता को लेकर भाग गए थे और जयचंद कुछ नहीं कर सके थे. लेकिन इस घटना के कारण राजा जयचंद अपमान की आग में जलने लगा और उसने मोहम्मद गौरी के साथ मिलकर पृथ्वीराज चौहान को मारने की योजना बनाई |

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मोहम्मद गौरी पहले से ही पृथ्वीराज चौहान को हराकर दिल्ली की सत्ता को हड़पना चाहता था. इसी वजह से उसने पृथ्वीराज चौहान से 16 बार लड़ाई की थी लेकिन हर बार मोहम्मद गौरी को हार का मुंह देखना पड़ा| पहली लड़ाई 1178 ईस्वी में माउंट आबू के पास कायाद्वार पर लड़ी गई थी. उस लड़ाई में पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को बहुत ही बुरी तरह से हराया था|

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1191 में तारा पुरी की लड़ाई में पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी और उसकी सेना पर कब्जा कर लिया था. उस लड़ाई में मोहम्मद गोरी ने अपने जीवन की भीख मांगी थी जिस वजह से पृथ्वीराज चौहान ने उन्हें चेतावनी देते हुए जीवन दान दे दिया था| हर बार मोहम्मद गोरी हारने के बाद पृथ्वीराज चौहान के पैरों में गिर कर जिंदा रहने की भीख मांगता था और पृथ्वीराज चौहान भी उसे हर बार जिंदा छोड़ देते थे. लेकिन आगे चलकर पृथ्वीराज चौहान की यही भूल उनके मौत का कारण बनी|

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गद्दार जयचंद ने मोहम्मद गौरी से मिलकर अपने ही हिंदू भाइयों के खिलाफ लड़ने और देशद्रोह करने को तैयार हो गया और मोहम्मद गोरी ने एक बार फिर पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण किया| मोहम्मद गोरी ने इस बार धोखे से युद्ध लड़ा. इस युद्ध में मोहम्मद गोरी अक्सर रात को हमला करता था और उसके साथ राजा जयचंद की सेना भी थी इसलिए उसकी शक्ति काफी बढ़ गई थी. फलस्वरूप इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की हार हुई और मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को बंधक बना लिया |

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जयचंद यह समझता था कि पृथ्वीराज चौहान को मारने के बाद मोहम्मद गौरी दिल्ली का राज्य उसे इनाम स्वरुप दे देगा लेकिन युद्ध खत्म होने के बाद मोहम्मद गोरी ने गद्दारी करते हुए राजा जयचंद को भी मौत के घाट उतार दिया | इस युद्ध से पहले पृथ्वीराज चौहान ने कन्नौज और पाटन के राजाओं से मदद मांगी थी लेकिन उन राजाओं ने उस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान का साथ नहीं दिया था जो बाद में उन सबके मिटने का कारण बना. क्योंकि पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद मोहम्मद गोरी ने उन राजाओं से भी युद्ध करके उनका राज्य भी हथिया लिया और पहली बार हिंदुस्तान में मुस्लिम साम्राज्य की शुरुआत हुई|

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पृथ्वीराज चौहान ने 16 बार मोहम्मद गौरी को हराकर भी जीवनदान दे दिया था लेकिन ऐसी गलती मोहम्मद गोरी ने एक बार भी नहीं की. मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को बंधक बनाते हैं उनकी दोनों आंखें को गर्म सलाखों की सहायता से फोड़ दिया था| इसके अलावा भी मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को कई अमानवीय यातनाएं दी थी| पृथ्वीराज चौहान में एक जबरदस्त हुनर था. पृथ्वीराज आवाज सुनकर ही अपने लक्ष्य को तीर से बिना देखे आंख बंद करके भी साध सकते थे|

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मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान की आंखें फोड़ कर आदेश दिया कि वह अब अपने इस कला का प्रदर्शन करें. उसने कई जगहों पर घंटे लगवाए और उन्हें दूर से बजाने का इंतजाम भी कर दिया. मोहम्मद गौरी एक मंच के ऊपर बिल्कुल शांत बैठ गया क्योंकि उसे एहसास था कि अगर उसके मुंह से आवाज निकली तो पृथ्वीराज चौहान सीधा बाण उसकी छाती में मारेगा| इस प्रकार पृथ्वीराज चौहान ने अपनी कला का प्रदर्शन शुरू किया | जिस भी घंटे को बजाया गया पृथ्वीराज चौहान ने तुरंत उसे अपने बाण से नीचे गिरा दिया| हर बार पृथ्वीराज चौहान का निशाना अचूक रहा यह देख कर गोरी खुद को पृथ्वीराज चौहान की तारीफ करने से रोक नहीं पाया और उसके मुंह से निकला वाह पृथ्वी वाह|

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पृथ्वीराज ने यह आवाज सुनते ही पहचान ली कि यह मोहम्मद गौरी की आवाज है और तुरंत उन्होंने उसी आवाज़ पर निशाना लगा दिया. अगले ही पल में तेजी से एक बाण मोहम्मद गौरी की गर्दन में जाकर लगा और वही मौके पर ही मोहम्मद गौरी की मौत हो गई| यह देखकर मोहम्मद गौरी के सैनिक पृथ्वीराज चौहान को मारने के लिए दौड़े लेकिन कहते हैं कि दुश्मन के हाथों से मरने से अच्छा है किसी अपने के हाथों से मारा जाए बस यही सोच कर भीड़ में मौजूद पृथ्वीराज के बचपन के दोस्त चंद्रवरदाई को आदेस दिया की वह उसे मर दे लेकिन चंद्रवरदाई ऐसा नहीं कर सके इस लिए खुद पृथ्वीराज ने पहले चंद्रवरदाई को मारा और फिर अपनी भी जीवन लीला समाप्त कर ली|

दोस्तों आप हिंदू सम्राट महाराणा प्रताप के बारे में क्या सोचते हैं… अपनी राय नीचे कमेंट में जरूर बताएं |

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