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जिसे हम रोज पीते हैं उस चाय के बारे में यह जानकर आप हैरान रह जाएंगे!

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हेलो दोस्तो मेरा नाम अनिल पायल है, चाय पीने का इतिहास 750 ईशा पूर्व का है. आम तौर पर भारत में चाय उत्तर पूर्वी भागों और नीलगिरी की पहाड़ियों में उगाई जाती है| आज भारत दुनिया में चाय का सबसे बड़ा उत्पादक है जिसमें से 70% चाय की खपत खुद भारत में ही हो जाती है. क्या आप जानते हैं कि हजारों साल पहले भारत में बौद्ध भिक्षुओं ने चाय का इस्तेमाल औषधीय कार्यों के लिए किया था| इसके पीछे एक बहुत ही दिलचस्प कहानी है दरअसल भारत में चाय पीने की परंपरा 2000 साल पहले एक बौद्ध भिक्षु के साथ शुरू की थी. बाद में यह बोध भिक्षु जैन धर्म के संस्थापक बने और इन्होंने 7 साल की नींद को त्याग कर जीवन के सत्य को जाना और बुद्ध की शिक्षाओं पर विचार करने का फैसला किया|

यह बौद्ध भिक्षु तपस्या के पांचवें साल में था तो उन्होंने झाड़ियों में से कुछ पत्ते लिए और उन्हें चबाना शुरू कर दिया. इन पत्तियों ने उन्हें पुनर्जीवित रखा और उन्हें जागते रहने के लिए सक्षम बनाया| जब भी उन्हें नींद महसूस होती थी वह इस एक ही प्रक्रिया को दोहराते थे इस तरह वे 7 साल तक चली अपनी तपस्या को पूरा करने में सफल रहे और आश्चर्यजनक बात यह है कि यह कुछ और नहीं बल्कि जंगली चाय के पौधे की पत्तियां थी| इस तरह से चाय भारत में प्रचलित हो गई और स्थानीय लोगों ने जंगली चाय के पौधों की पत्तियों को चबाना शुरू कर दिया लेकिन भारत में चाय का उत्पादन भारत के उत्तर पूर्वी भाग में ईस्ट इंडिया कंपनी ने शुरू किया था और 19वीं सदी के अंत में असम में चाय की खेती का पदभार संभालने के लिए चाय का पहला बागान भी ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा ही शुरू किया गया था. Amazing information about tea

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इससे पहले 16वीं सदी में भी यह देखा गया कि भारत में लोग चाय का उपयोग सब्जी पकाने में भी कर रहे थे जिसे लहसुन, तेल और चाय की पत्तियों को मिलाकर या फिर उबली हुई चाय की पत्तियों से एक पे तैयार करने के लिए भी इसे इस्तेमाल में लाया जाता था| 1823 और 1831 में ईस्ट इंडिया कंपनी के एक कर्मचारी रॉबर्ट ब्रूस और उसके भाई चार्ल्स ने यह पुष्टि की थी कि चाय का पौधा वास्तव में असम क्षेत्र के बाग में पैदा होता है और उसके बाद कोलकाता में नव स्थापित गुडलिविंग गार्डन के अधिकारियों को इसके बीज और पौधों का नमूना भेजा गया लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी के पास चीन के साथ चाय का व्यापार करने का अधिकार था इसलिए उन्होंने चाय उगाने की प्रक्रिया को शुरू नहीं किया और समय तथा पैसा बर्बाद नहीं करने का फैसला किया|

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लेकिन जब कंपनी ने अपने एकाधिकार को खो दिया तो फिर से एक समिति का गठन किया गया इसमें चार्ल्स को चाय की पैदावार को बढ़ाने का काम दिया गया और पहली नर्सरी स्थापित करने के बाद चीन से 80000 चाय की बीज एकत्र करने के लिए कहा गया. साथ में यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि भारत में चाय की कृषि संभव भी है या नहीं| अंत में यह भी उसी गार्डन में लगाए गए. इस बीच असम में मौजूदा चाय के पेड़ों की छंटाई कर नए विकास को प्रोत्साहित करने के लिए बागवानों को तैयार किया और देसी झाड़ियों की पत्तियों के साथ प्रयोग करके काली चाय का निर्माण करने का साहस किया| उन्होंने चीन से दो चाय निर्माताओं की भर्ती की और उनकी मदद से तेजी से सफल चाय के उत्पादन के रहस्यों को भी सिखा| इसके अलावा 19वीं सदी में एक अंग्रेज ने यह गोर किया कि असम के लोग एक काला तरल पदार्थ पीते हैं जो कि एक स्थानीय जंगली पौधे से पीसकर बनाया जाता है और इस तरह से चाय एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में प्रचलित होते गए और अब पूरी दुनिया में आम आदमी का एक पसंदीदा पेय पदार्थ बन गया है. Amazing information about tea

चाय भारत में दार्जिलिंग, असम, कांगड़ा, नीलगिरी, अन्नामलाई, कर्नाटक, मुन्नार, त्रावणकोर, व्हायनाडा आदि स्थानों पर उगाई जाती है| दुनिया में चाय की प्रमुख तीन किसमें है- इंडियन चाय, चाइना की चाय और हाइब्रिड| इन्ही चाय की किस्मो से चाय के विभिन्न प्रकार जैसे ग्रीन टी, वाइट टी और हर्बल टी जैसी चाय उत्पादित होती हैं| कमाल की बात यह है कि भारत चाय का इस्तेमाल स्वास्थ्य के गोलियों को बनाने के लिए भी कर रहा है|

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दोस्तों उमीद करता हु आप चाय के बारे में काफी कुछ जन गये होगे. आप कितनी और कोनसी चाय पीते है हमे कमेंट में जरुर बताये..

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