what is theft

चोरी करने पर कितनी सजा होती है और चोरी, लूट और डकैती में क्या फर्क होता है!

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IPC Section 378, 379, 390, 392 in hindi

आज हम जानेंगे की चोरी क्या होती है और चोरी करने पर कितनी सजा का प्रावधान किया गया है| साथ ही अंतिम में  हम जानेंगे कि चोरी, लूट और डकैती में क्या फर्क होता है. 

what is theft

चोरी क्या होती है? ( What is theft? )

चोरी को IPC Section 378 में define किया गया है| अगर कोई पर्सन किसी दूसरे पर्सन के कब्जे से उसकी सहमति के बिना कोई चल यानी मूवेबल प्रॉपर्टी बेईमानी की नियति से हटाता है तो यह चोरी है| चोरी में तीन चीजें काफी इंपोर्टेंट है, पहली तो यह की प्रॉपर्टी मूवेबल होनी चाहिए यानी उसको एक जगह से दूसरी जगह मुव किया जा सकता हो| दूसरी यह कि वह प्रॉपर्टी ओनर की सहमति के बिना ली गई हो और तीसरी के प्रॉपर्टी को बेईमानी की नियत से लिया गया हो| इसको आप ऐसे समझ सकते हैं कि अगर कोई पर्सन अपने दोस्त के घर गया और दोस्त वहां पर नहीं है लेकिन उसकी बुक्स रखी हुई है तो वह पर्सन अगर उस बुक्स को उठाता है इस नियत से पढने के बाद वापस कर दूंगा तो यह चोरी नही है|

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हालांकि यहां पर प्रॉपर्टी मूवेबल भी है बुक को एक जगह से दूसरी जगह मुव किया जा सकता है और यहां पर ऑनर की सहमति भी नहीं है लेकिन यहां पर जो तीसरी कंडीशन है कि बेईमानी की नियत से हटाया जाए वह नहीं पाई जा रही है इसलिए यह चोरी नहीं है| लेकिन अगर वह पर्सन बुक्स को इस नियत से हटाता है की अब यह वापस नहीं करूंगा और बेईमानी के नियत से हटाता है तब यह चोरी होगा| इसमें एक और कंडीशन होती है कि प्रॉपर्टी को किसी के कब्जे से लेना, इसलिए अगर आपको कोई चीज कहीं पड़ी हुई मिलती है और आप उसको अगर बेईमानी की नियत से उठाते हैं तब भी वह चोरी नहीं होगा क्योंकि वहां पर कब्जा नहीं पाया जा रहा है|

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चोरी करने पर कितनी सजा होती है इसमें बेल का क्या प्रोविजन है? ( How much punishment is there for theft, in what is the provision of bell? )

अगर कोई चोरी करता है और उसे दोषी करार दे दिया जाता है तो उसे आईपीसी सेक्शन 379 के तहत कम से कम 3 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों से पनिश के जाएगा क्योंकि चोरी एक Cognizable offense है इस कारण चोरी की शिकायत होने पर पुलिस इस पर तुरंत कॉग्निशन लेकर आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है| आईपीसी सेक्शन 379 चोरी करना एक गैर जमानती अपराध है इस कारण इस मामले में तुरंत जमानत नहीं मिलती ज्यादातर इसमें सेशन कोर्ट से जमानत खारिज हो जाती है लेकिन अगर सेशन कोर्ट से जमानत खारिज हो जाए तो आप हाई कोर्ट में जमानत की एप्लीकेशन लगा सकते हैं| Section 379 चोरी करना एक समझौता वादी यानी कमप्रोमाइजर है अगर प्रॉपर्टी का मालिक चाहे तो समझौता करके मामले को खत्म कर सकता है|

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IPC Section 378, 379, 390, 392 in hindi
IPC Section 378, 379, 390, 392 in hindi

चोरीलूट और डकैती में यह फर्क होता है ( What is the difference between theft and robbery? )

चोरी – इसको Section 378 में डिफाइन किया गया है, कि किसी पर्सन के कब्जे से उसकी सहमति के बिना कोई प्रॉपर्टी जैसे रुपया घड़ी सामान वगैरा बेमानी से लेना चोरी होता है इसके लिए जनरल पनिशमेंट 3 साल तक की जेल या जुर्माना यह दोनों होती है, लेकिन यह चोरी किसी घर में की जाए तो 7 साल तक की जेल हो सकती है| दूसरा होता है लूट यानी रोबरी, रोबरी को Section 390 में define किया गया है जब चोरी करने में कोई हिंसा की जाती है तब यह मामला चोरी का ना हो करके लूट का बन जाता है जनरली 10 साल तक के कठोर कारावास और जुर्माने से यह दंडनीय होता है लेकिन अगर यह लूट हाईवे पर की जाती है तो इसमें 14 साल तक की सजा हो सकती है|

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तीसरी होती है डकैती, डकैती को Section 392 ने बताया गया है लूट करने वाले लोगों की गिनती 5 या उससे ज्यादा है तो यह डकैती कहलाती है| इसके लिए जनरल ही 10 साल के कठिन कारावास या जुर्माने की सजा होती है| इसको आप ऐसे समझिए की अगर कोई पर्सन किसी दूसरे पर्सन के कब्जे से उसकी सहमति के बिना कोई मूवेबल प्रॉपर्टी बेईमानी की नियत से हटाता है तो यह चोरी है,और अगर इस चोरी में कोई हिंसा हो जाए यदि किसी को चोट पहुंच जाती है तब यह लूट हो जाता है,और अगर 5 या उससे ज्यादा लोग मिलकर के लूट करते हैं तब यह डकैती बन जाता है|

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