भारत के 5 सबसे बड़े आविष्कार जिन्हें भारत से छीन लिया गया!

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हेलो दोस्तों मेरा नाम है अनिल पायल, दोस्तों भारत एक समय में पूरी दुनिया का गुरु रहा है. भारत के बिना ना धर्म की कल्पना की जा सकती है और ना ही विज्ञान की| महाभारत और रामायण जैसे ग्रंथ ही अपने आप में संपूर्ण विज्ञान को समेटे हुए हैं. हमारे भारतीय ऋषि मुनियों ने ऐसी खोजें और जानकारी दुनिया को दी है जिनके कारण है आज आधुनिक विज्ञान का अस्तित्व है. थॉमस एडिसन ने भी अपनी किताब में लिखा है कि वह बिजली का आविष्कार ऋषि अगस्त द्वारा लिखे गए ग्रंथ अगस्त्य संहिता को पढ़ने के बाद ही कर पाए थे| हालांकि भारत में की गई अधिकतर खोजों को या तो भूला दिया गया या उनका पेटेंट विदेशियों ने अपने नाम करवा लिया है| आज मैं आपको पांच ऐसे आविष्कारों के बारे में बताने वाला हूं जिनका जन्म भारत में हुआ था|

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India's 5 biggest inventions that were taken away from India

  1. बटन

हालांकि मोटे तौर पर देखा जाए तो बटन एक मामूली सी चीज है लेकिन इसकी महत्ता कितनी है वह सब लोगों को पता है. सबसे खास बात यह है कि प्राचीन काल से लेकर आज तक बटन में कोई भी खास बदलाव नहीं किया गया है. शर्ट के बटन का आविष्कार सबसे पहले में भारत में हुआ था. इसका सबसे पहला प्रमाण मोहनजोदड़ो की खुदाई से प्राप्त हुआ था | इन खुदाइयों में बड़ी मात्रा में वस्त्र मिले थे जिनमें बटन लगे हुए थे. मोहनजोदड़ो की सभ्यता आज से लगभग 25 से 30 हजार साल पहले सिंधु नदी के पास अस्तित्व मे थी|

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2. पहिया

महाभारत के युद्ध में रथो के उपयोग का वर्णन है और बगैर पहियों के रथ चल ही नहीं सकते| इससे सिद्ध होता है कि पहियों का आविष्कार सबसे पहले भारत में 5000 साल से 10000 साल पूर्व ही हो चुका था| पहिए का आविष्कार मानव विज्ञान के इतिहास में महत्वपूर्ण उपलब्धि थी. पहिए के आविष्कार के बाद ही साइकल और फिर कार तक का सफर पूरा हुआ है. इससे मानव को गति मिली है और गति से जीवन में परिवर्तन आया है. हमारे पश्चिमी विद्वान पहिए के आविष्कार का श्रेय इराक को देते हैं जबकि इराक में रेतीले मैदान हैं और वहां के लोग 19वीं सदी तक रेगिस्तान में ऊंट की सवारी करते थे |

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महाभारत के अलावा भी आज से 2000 से 3000 साल पहले विश्व के सबसे प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों से प्राप्त खिलौना हाथी गाड़ी भारत के राष्ट्रीय संग्रहालय में परिणाम स्वरुप रखी गई है. सिर्फ यह हाथी गाड़ी ही प्रमाणित करती है कि विश्व में पहिए का आविष्कार इराक में नहीं बल्कि भारत में किया गया था|

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3. शल्य चिकित्सा या प्लास्टिक सर्जरी

प्लास्टिक सर्जरी के आविष्कार से दुनिया में एक क्रांति आ गई. पश्चिम के लोगों के अनुसार प्लास्टिक सर्जरी आधुनिक विज्ञान की देन है. प्लास्टिक सर्जरी का मतलब है कि शरीर के किसी एक हिस्से को काट कर उसे फिर से जोड़ देना या उसे ठीक कर देना| भारत में सुश्रुत को पहला शल्य चिकित्सक माना जाता है. आज से करीब 3000 साल पहले सुश्रुत ने युद्ध या प्राकृतिक विपदाओं में जिन मानव के अंग भंग हो जाते थे या कट जाते थे तो उन्हें ठीक करने का काम सुश्रुत ही करते थे| सुश्रुत ने 1000 ईसा पूर्व अपने समय के स्वास्थ्य वैज्ञानिकों के साथ परसों, मोतियाबिंद, कृत्रिम अंग लगाना, पथरी का इलाज और प्लास्टिक सर्जरी जैसे कई तरह की जटिल शल्य चिकित्सा के सिद्धांत प्रतिपादित किए थे|

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4.अस्त्र शस्त्र

धनुष बाण, भाला या तलवार आदि का आविष्कार तो भारत में हुआ ही है. इसके अतिरिक्त वेद और पुराणों में अग्नि अस्त्र और ब्रह्मास्त्र जैसे संहारक अस्त्रों का भी जिक्र किया गया है. आधुनिक काल में परमाणु बम के जनक जय रोबट ओपन हाइपर ने महाभारत का गहन अध्ययन किया था. उन्होंने महाभारत में बताए गए संघारक अस्त्रों पर शोध किया और अपने मिशन को नाम दिया ट्रिनिटी | रोबोट के नेतृत्व में 1939 से 1945 के बीच वैज्ञानिकों की टीम ने यह कार्य किया और 16 जुलाई 1945 को पहला परमाणु परीक्षण किया गया | परमाणु सिद्धांत शास्त्र के जनक जॉन बोतल को माना जाता है लेकिन उनसे भी 2500 वर्ष पूर्व ऋषि कणाद ने वेदों में लिखे सूत्रों के आधार पर परमाणु सिद्धांत का प्रतिपादन किया था| भारतीय इतिहास में ऋषि कणाद को परमाणु शास्त्र का जनक माना जाता है | आचार्य कणाद ने बताया था कि द्रव्य के परमाणु होते हैं. विख्यात इतिहासकार टी एन कॉले बुरक ने अपनी किताब में लिखा है कि अनु शास्त्र में आचार्य कणाद यूरोपीय विज्ञानिकों की तुलना में अधिक ज्ञान रखते थे|

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5. विमान

इतिहास और स्कूल की किताबों में पढ़ाया जाता है कि विमान का आविष्कार राइट ब्रदर्स ने किया लेकिन यह सच्चाई नहीं है यह बिल्कुल गलत है | ऐसा कहना तो ठीक है कि आज के आधुनिक विमान की शुरुआत राइट ब्रदर्स ने 1903 में की थी. लेकिन उनसे हजारों वर्ष पहले महर्षि भारद्वाज ने विमान शास्त्र लिखा था. जिसमें हवाई जहाज बनाने की तकनीक का वर्णन किया गया था.

महर्षि भारद्वाज द्वारा लिखित विमान शास्त्र में एक उड़ने वाले यंत्र यानी विमानों का वर्णन किया गया था तथा हवाई युद्ध के नियम व प्रकार भी बताए गए थे| उन्होंने विस्तार से लिखा है कि बोधा एक ऐसा विमान था जो अदृश्य हो सकता था| परोक्ष दुश्मन के विमान को नष्ट कर सकता था. परले एक प्रकार की विद्युत ऊर्जा का शस्त्र था जिससे विमान चालक भयंकर तबाही मचा सकता था|

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जलदरूप एक ऐसा विमान था जो देखने में बादल की भांति दिखता था. विमान शास्त्र पुराण के खंड 3 अध्याय 23 में उल्लेख मिलता है कि ऋषि कर्दम ने अपनी पत्नी के लिए एक विमान की रचना की थी जिसके द्वारा कहीं भी आया जा सकता था| रामायण में भी पुष्पक विमान का जिक्र मिलता है जिस में बैठकर रावण सीता जी को हर कर ले गया था |

दोस्तों निश्चित ही आपको भी भारत के द्वारा किए गए इन महान आविष्कारों को जानकर गर्व महसूस हुआ होगा. आप इन आविष्कारों के बारे में क्या सोचते हैं हमें कमेंट में जरूर बताएं…

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