हेलो दोस्तों मेरा नाम अनिल पायल है, आदिकाल का मानव सृष्टि के रहस्यों को नहीं जानता था इसलिए वह प्रकृति में घटने वाली घटनाओं से बहुत ही डरता था| वह नहीं जानता था कि धरती कैसे बनी है, जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई है, इंसान क्या है और कैसे बना है, पृथ्वी कैसे काम करती है, रात और दिन कैसे होते हैं| इस प्रकार के तमाम सवालों ने इंसान को बहुत परेशान किया. जब से इंसान खाना खाने वाले प्राणी से सामाजिक प्राणी बना है तब से वह सृष्टि के रहस्यमई प्रश्नों का हल ढूंढ रहा है.
इन अबूझ प्रश्नों को सुलझाने के लिए प्राचीन काल के मानव के पास अटकलों के सिवा कोई दूसरा तरीका नहीं था. आधुनिक काल में विज्ञान की उन्नति ने मनुष्य के अनेक प्रश्नों को हल कर दिया है. लगभग 13 अरब 70 करोड़ों वर्ष पहले हमारे इस विराट और अनंत यूनिवर्स का जन्म हुआ. ब्रह्मांड के जन्म की किसी थोरी को हम बिग बैंग थ्योरी कहते हैं. बिग बैंग से पहले क्या था? इस पर वैज्ञानिक अलग-अलग मत रखते हैं. कुछ समय पहले मर चुके इतिहास के सबसे बड़े साइंटिस्ट स्टीफन हॉकिंग के अनुसार हमारा यूनिवर्स किसी विशाल मल्टी बरस जैसा हो सकता है, जहां हर पल करोड़ों यूनिवर्स पैदा होते हैं और हर पल करोड़ों यूनिवर्स मरते भी हैं|
हमारा यूनिवर्स अपनी शुरुआत से ही फैलता चला गया. बिग बैंग की शुरुआती टक्कर में जो ऊर्जा पैदा हुई उससे मीटर और एंटीमीटर पैदा हुए. इन दोनों के टकराव से शुरुआती 12 प्रकार के एलिमेंट्स बने हैं जिनमें से एक हाइड्रोजन भी था| हाइड्रोजन के अणुवो से ही हीलियम बना. हाइड्रोजन और हीलियम से बने अरबों खरबों सितारे बने. हाइड्रोजन और हीलियम की यह किर्या पूरे ब्रह्मांड के कोने-कोने में हो रही थी. जिससे अरबों-खरबों अकाशगंगा बनी और इस तरह शुरुआती 5- 6 वर्षों में ही पूरा ब्रह्मांड जगमगा उठा|
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हमारी यूनिवर्स के शुरुआत के 8 अरब वर्ष बाद हमारी आकाशगंगा मिल्की वे के किसी कोने में हाइड्रोजन के बादल सघन हो रहे थे. ग्रेविटी के कारण हाइड्रोजन के विशाल बादलों ने हमारे सूर्य का रूप लेना शुरू किया. करीब 5 अरब साल पहले शुरू हुई यह प्रक्रिया करोड़ों वर्षों तक चली और इसके केंद्र में बना एक विशाल सूरज| जो आज के हमारे सूरज से काफी बड़ा था. सूर्य बनने की प्रक्रिया में बचे मलबे ने सैकड़ों पिंडों का रूप धारण कर लिया. यह सभी पंडित गुरुत्वाकर्षण के कारण केंद्र में स्थित बड़े पिंड का चक्कर लगाने लगे और इस तरह बना हमारा सूर्य मंडल| शुरुआती सूर्य मंडल में सैकड़ों ग्रह थे, हजारों पिंड थे, लाखों उल्कापिंड थे और करोड़ों अरबों की तादात में विशाल पत्थर है| जो अंतरिक्ष में सूर्य का चक्कर लगा रहे थे|
4.5 अरब साल पहले के इस सौरमंडल में बृहस्पति से भी बड़े ग्रह थे और कुछ प्लूटो से भी छोटे थे. समय के अंतराल में इनमें अधिकांश ग्रह आपस में टकरा गए जिससे ग्रहों की संख्या कम हो गई. इन ग्रहों की टक्कर से बिखरे मलबे से इन ग्रहों के चंद्रमा बने. 4 अरब वर्ष पहले सूर्यमंडल के सौ के करीब ग्रहों के बीच एक विशाल पिंड जो सूर्य का चक्कर लगा रहा था उसकी एक दूसरे बड़े पिंड से टक्कर हो गई. इस प्रकार से उस पिंड का 25% भाग मलबे में तब्दील हो गया और 75% बचे भाग ने धीरे-धीरे एक ग्रह का रूप धारण कर लिया. इसी तरह हमारी पृथ्वी का जन्म हुआ और इस टक्कर से पैदा हुए मलबे के ढेर में धीरे-धीरे एक और छोटे पिंड का रूप धारण किया जो हमारा चंद्रमा बना| जिसे हम चांद कहते हैं|
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शुरुआती पृथ्वी आज की हमारी पृथ्वी से काफी अलग थी. पृथ्वी की ठोस धरातल के नाम पर पृथ्वी पर निकलने वाले मैग्मा और लावा की भरमार थी. उस वक्त पृथ्वी का तापमान 400 डिग्री से 1600 डिग्री सेल्सियस था. ना कोई पहाड़, ना नदी, ना समंदर. बस चारों ओर आकाश से बरसने वाले आग के गोले और धरातल पर बहती आग की नदियां. ऐसी थी हमारी शुरुआती पृथ्वी| करीब 3.8 अरब वर्ष पहले पृथ्वी का तापमान कुछ कम हुआ. धरती पर 20 करोड़ वर्षों से धधकते लावा और मेग्मा के बादल बरसने लगे. तेजाबी बारिश ने 10 करोड़ वर्षों में विशाल रासायनिक समुंदर का निर्माण कर दिया.
3.7 अरब साल पहले हमारी पृथ्वी तेजी से बदलने लगी विशाल पृथ्वी का 80% भाग समुंदर के पानी में डूब चुका था. सिर्फ 30% जो पृथ्वी का भाग बाहर बचा था उसे एक्टेल लैंड कहां जाता है. यह पेंटियम महाद्वीप टूटने लगा और उसके कई भाग एक दूसरे से अलग होकर दूर जाने लगे और धरती गोल होने के कारण अलग हुए यह भाग एक दूसरे से फिर से टकराने लगे. विशाल भूखंडों की इस टक्कर से विशाल पर्वतों का निर्माण हुआ.
पर्वतों के निर्माण में फिर से धरती को बदला.. समंदर का पानी सूर्य की प्रचंड गर्मी से भाप बनकर इन पहाड़ों पर बरसने लगा. और इस तरह करोड़ों वर्षों में बड़े-बड़े ग्लेशियरों का निर्माण होने लगा. 30 करोड़ वर्षो में पृथ्वी का वातावरण बनने लगा, मौसम चक्कर बनाने लगे, हालांकि यह परिवर्तन अभी भी जीवन के अनुकूल नहीं थे फिर भी समुद्र की गहराइयों में जीवन के प्राथमिक इकाइयों के संकेत दिखाई देने लगे थे|
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समुंद्र की गहराई में हो रही रासायनिक प्रतिक्रियाओं ने शुरुआती सूक्ष्म जीवो का निर्माण किया. जीवन के इन शुरुआती तत्वों ने पृथ्वी पर स्थित कार्बन डाइऑक्साइड को शौख कर ऑक्सीजन का निर्माण करना शुरू किया. इन माइक्रो ऑर्गेनिक एक कोशिकीय जिव कई प्रकार के सूक्ष्म जीवो को विकसित किया उसके बाद करोड़ों वर्षों में इन एक कोशिकीय वाले जीव से बहुकोशिकीय जीवो का निर्माण होने लगा.
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करीब 3 अरब वर्ष पहले की पृथ्वी काफी बदल चुकी थी. पृथ्वी पर पर्याप्त रूप में ऑक्सीजन था. पानी था, नदियां थी, समुंद्र के गर्भ में अनेकों छोटे जीव पनप रहे थे. इसी दौर में जीवों की अनेकों नई प्रजातियां पैदा हुई लेकिन जीवन का यह खेल केवल समुंदर मैं ही हो रहा था.
प्रथ्वी पर महान पठार थे वहां अभी भी जीवन के नाम पर काई जैसा तत्व ही उपलब्ध था जो धीरे-धीरे विकसित हो रहा था और धीरे-धीरे इन पोधो की बंजर जमीन भी हरियाली में बदलने लगी वहां भी शुरुआती घास पैदा होने लगी है जीवन में जो प्रतिक्रिया समंदर में चल रही थी वह दीपों पर भी होने लगी. लेकिन यहां यह जीवन में नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार की घास की प्रजातियां में थी जो अलग-अलग पेड़ पौधों का रूप ले रही थी.
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वही समुंद्र में बहुकोशिकीय जीव विभिन्न प्रकार के कीड़े मकोड़ों में और मछली के रूप में विकसित होने लगे. विकास की तरंग प्रतियोगिता के दौर में कुछ समुद्री जीव ने समुंदर से बाहर निकलकर धरातल पर कदम रखा. जहां उनके लिए प्रतिस्पर्धा बिल्कुल भी नहीं थी बस उन्हें इस नए माहौल के हिसाब से खुद को बदलना था|
50 करोड़ वर्ष के बाद यानी कि आज से दो अरब 50 करोड वर्ष पहले की दुनिया में धरातल पर सबसे पहले कदम रखने वाली मछलियों के वंशज विकास की बेहद कठिन प्रक्रिया से गुजरते हुए विशाल जीवो के रूप में सामने आए. आगे चलकर यही विशाल जी डायनासोर के रूप में विकसित हुए. जिन्होंने लंबे अरसे तक पृथ्वी पर राज किया. करीब 6 करोड़ साल पहले पृथ्वी से एक धूमकेतु टकराया जिसने डायनासोर के विशाल साम्राज्य को एक झटके में जड़ से खत्म कर दिया इस टक्कर ने पृथ्वी के बड़े जीवो का बिल्कुल सफाया कर दिया.
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2 फुट से ऊपर के सभी जीव खत्म हो गए इसके साथ ही पृथ्वी के लगभग 90% जीव खत्म हो गये. जो छोटे जीव बचे उन्होंने परिस्थितियों का सामना किया. लाखों वर्षों में इन्होंने खुद को कई अलग-अलग प्रजातियों में विकसित कर लिया. करीब 1.2 लाख बरस पहले इंसान और बंदर की सभी प्रजातियां किसी एक शाखा से निकलकर अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग प्रजाति के रूप में विकसित हुए.
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आधुनिक मनुष्य के पूर्वज 1 लाख वर्ष पूर्व अफ्रीका के शोपियां में विकसित हुए. करीब 80000 वर्ष पहले इंसानों का एक छोटा सा दल नई दुनिया की तलाश में अफ्रीका से यमन के रास्ते 16 किलोमीटर का समुद्री रास्ता पार करते हुए यूरोप पहुंच गया. यूरोप को बताते हुए करीब 65000 वर्ष पहले तक इंसान ऑस्ट्रेलिया तक पहुंच चुका था और हिम युग के दौरान करीब 45000 साल पहले इंसानों ने अमेरिका को भी बसा दिया था.
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ये थी सृष्टि बनने की कहानी. एक मामूली जीव से इंसान बनने की कहानी. प्रकृति की पूरी कहानी में संघर्ष है, परिवर्तन है, विखंडन है, निर्माण है और विध्वंस भी है.
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